شُوقِ سَفر میں گَرد نہ اِتنی اُڑا کے
چَل
کہ مَنزل پہ جا کے سَانس بِھی لینا
مَحال ہو
शुआफ़र के फेरबदल में, यह इतना अधिक उड़ान भर नहीं था
सांस को गंतव्य से दूर ले जाना संभव हो सकता है
shoq e safar main gard na itni ura k chal
keh manzal py ja k sans bi lena mahal ho
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